प्रेषक : लव गुरू
फिर मैंने कहा- माँ, मुझको तुम्हारे शरीर के सारे कपड़े भी अच्छे लगते है।
रीमा ने कहा- अच्छा बता, इनमें भला तुझे क्या अच्छा लगता है?
मैंने कहा- इनकी मादक खुशबू। इन कपड़ों से निकलने वाली मस्तानी सुगंध। इस सुगंध में कपड़ों की गंध के साथ साथ तुम्हारे बदन और तुम्हारे पसीने की सोंधी गंध भी शामिल है जोकि इसको और भी मादक बना देती है।
फिर मैंने कहा- मुझे तुम्हारे पैरों में ये उँची ऐड़ी के सैंडल भी बहुत अच्छे लगते हैं। जब तुम इनको पहन कर चल रही थी तो तुम्हारे भारी भरकम चूतड़ क्या मस्त मटक रहे थे और 5 इन्च हील की वजह से चूतड़ और भी उभर कर शरीर के बाहर की ओर निकल आये हैं जो कि इन बड़े बड़े चूतड़ों को और भी मस्त बना देते हैं जिसकी वजह से ये और भी बड़े लगते हैं और ऊँची हील की वजह से चाल और भी मस्तानी हो जाती है क्योंकि तुम्हारे मम्मे इतने बड़े हैं, इसलिये ये हर कदम के साथ उछलते हैं और यह दृश्य देख कर किसी मुर्दे का लंड भी खड़ा होने को मजबूर हो जाये।
तुमसे चैट-रूम में मिलने से पहले मैं उँची ऐड़ी के सैंडल नहीं पहना करती थी। जब तुमने मुझे बताया था कि तुमको उँची ऐड़ी के सैंडल पसन्द हैं और अगर ऐड़ी करीब 5 या 6 इन्च हो तो क्या कहने। तब पहले तो कुछ दिन तक मैंने सोचा कि इनका सेक्स में क्या काम। लेकिन मैं एक बार एक शॉप पर गई और सैंडल देख कर सोचा क्यों न मैं पहन कर देखूँ और जब मैंने शीशे में अपने चूतड़ देखे तो मैंने सोचा कि तुम गलत नहीं हो, मेरे मस्त चूतड़ और भी बाहर निकल आये थे और आस पास के कई मर्द मेरे चूतड़ों को घूर घूर कर देख रहे थे। तब से मैंने कई जोड़ी सैंडल खरीदे हैं और मैं कई सारे जोड़ी ले कर आई हूँ।
फिर मैं बोला- माँ, सबसे अच्छा अंग तो मुझे तुम्हारे चूतड़ लगते हैं। औरत के चूतड़ मेरा सबसे पंसन्दीदा अंग है और तुम्हारे चूतड़ों के तो क्या कहने ! इतने बड़े बड़े हैं और तुम्हारी कमर पतली होने की वजह से और भी बड़े लगते हैं। तुमने पेटीकोट भी इतना नीचे पहना है कि तुम्हारे चूतड़ों की दरार कहाँ से शुरू होती है वो भी दिखाई देती है। और क्या तारीफ करूँ इन चूतड़ों की, ये इतने सेक्सी हैं कि मेरे पास कोई शब्द ही नहीं है।
मेरी बात सुन कर रीमा ने कहा- तुम सही बोल रहे हो या मेरे को रीझाने के लिये ऐसा कह रहे हो ? मुझे नहीं पता पर तुम तारीफ करना खूब जानते हो।
मैंने कहा- मैं कोई झूठी तारीफ नहीं कर रहा हूँ, माँ, तुम हो ही इतनी सुन्दर ! मैंने जितना भी तुम्हारे रूप के बारे में कहा है वह तो तुम्हारी सुन्दरता का सिर्फ़ दस प्रतिशत ही है।
रीमा ने कहा- चल झूठा कहीं का। माँ के साथ खेल करता है?
और ऐसा कह कर रीमा ने एक हल्की सी चपत मेरे गाल पर लगा दी और बोली- चल बता और क्या क्या अच्छा लगा तुझे तेरी माँ में?
मैं बोला- मैंने सब कुछ तो बता दिया। और तो कुछ नहीं बचा। बोली- कैसे नहीं ! मेरी सबसे कीमती चीज तो अभी बची है।
मैं बोला- पर वह तो तुम्हारे कपड़ों से ढकी है।
तो फिर ऐसे देख क्या रहा है? उतार दे मेरे कपड़े ! मैंने तुझे मना थोड़े ही किया है। तूने ही नहीं उतारे मेरे कपड़े ! मैंने तो सोचा था कि जैसे ही आयेगा वैसे ही मेरे रूप को देख कर मेरे कपड़े फाड़ देगा।
माँ की बात सुन कर मैंने कहा- नहीं माँ पहले मैं तुम्हारे होंठो का रस पियूँगा फ़िर तुम्हारे कपड़े उतारूँगा।
रीमा बोली- अरे पहले कपड़े उतार के मुझे नंगा कर दे। फिर मेरे होठों का रस पी लेना। मैं भागी थोड़ी ही जा रही हूँ।
मैने कहा- नहीं माँ, चाहे थोड़ी देर ही सही पर मैं पहले तुम्हारे होंठो कर रस पीयूँगा। इस पर रीमा ने कहा- ठीक है, पी ले मेरे होंठ। माँ हूँ, क्या करूँ बेटे की बात माननी ही पड़ेगी।
मैं बोला- ओह माँ, तुम कितनी अच्छी हो।
इस पर रीमा बोली- बस 5 मिनट ही।
मैंने कहा- ठीक है।
फिर मैंने अपने होंठ रीमा के होंठ से लगा दिये और एक चुम्बन ले लिया। फिर मैं अपने हाथ उसकी गर्दन के पीछे ले गया और उसके मुँह को अपनी तरफ खींचा और अपनी जीभ निकाल कर उसके होंठों पर जीभ फिराने लगा। थोड़ी देर इसी तरह से जीभ फिराने के बाद मैंने उसका निचला होंठ अपने होंठों के बीच पकड़ लिया और फिर उस पर जीभ फिराने लगा।
उसके होंठों को चूसने से पहले मैं गीला कर देना चाहता था। थोड़ी देर तक इसी तरह उसके होंठो को गीला करने के बाद मैंने उसके होंठ चूसने शुरू कर दिये। मैं बहुत जोर जोर से उसके होंठों को चूस रहा था। रीमा भी अपनी जीभ निकाल कर मेरे उपरी होंठ के ऊपर फिरा रही थी और साथ ही साथ अपना बहुत सा थूक अपने निचले होंठ के पास जमा कर रही थी जिससे मैं ज्यादा से ज्यादा उसके स्वादिष्ट थूक को पी सकूँ। मैं भी हर थोड़ी देर में निचले होंठ को छोड़ कर उसका थूक अपनी जीभ की मदद से उसके होंठों पर मलने लगता और अच्छी तरह से मल कर फिर से उसके होंठ को चूसने लगता। करीब दो मिनट तक मैं ऐसा ही उसके साथ करता रहा। मैं इतनी जल्दी नहीं छोड़ना चाहता था पर क्या करता मेरे पास सिर्फ़ 5 मिनट थे और मैं भी रीमा को जल्दी से जल्दी नंगा कर देना चाहता था।
फिर मैंने उसका निचला होंठ छोड़ कर उसका ऊपरी होंठ अपने दोनों होंठों के बीच पकड़ लिया और उसको भी अपने थूक से गीला कर दिया। रीमा ने भी मेरा निचला होंठ अपने थूक से गीला कर दिया था। थोड़ी देर तक मैं उसके होंठ को गीला करता रहा और और चूसता रहा फिर एकदम से मैंने अपनी जीभ को नुकीला करके उसके दाँतों और होंठों के बीच डाल दी और उसके दाँतों पर फिराने लगा। वो भी अपनी जीभ को नुकीली बना कर मेरे जीभ के नीचे गोल गोल घुमाने लगी। जिससे उसकी जीभ से लार निकल कर मेरे मुँह में गिरने लगी और मेरी जीभ के नीचे जमा होने लगी।
थोड़ी देर इसी तरह से उसके दाँत और होंठ के बीच की और उसके जीभ से टपकती लार मेरे मुँह में जमा हो गई। फिर मैंने रीमा के होंठ मुँह में लेकर चूसने लगा तथा साथ ही साथ मुँह के अन्दर जमी स्वादिष्ट लार को भी मैं पी गया। ये लार मेरे लिये अमृत थी। फिर थोड़ी देर तक इसी तरह मैं उसका होंठ चूसता और लार पीता रहा। और जैसे ही करीब 5 मिनट हुये, मैंने आखरी बार उसके होंठों पर अपने होंठ रखे और एक गहरा चुम्बन लेकर उससे अलग हो गया।
फिर मैंने पूछा- मजा आया माँ?
तो रीमा बोली- हाँ बेटा, बहुत मजा आया। तुम तो बहुत ही अच्छी किस करते हो बेटा। मैं तो सोच रही थी तुमको किस करने की भी ट्रेनिंग देनी पड़ेगी लेकिन ऐसा लगता तो नहीं है।
मैंने कहा- माँ, ट्रेनिग की जरूरत तो मुझे है क्योंकि चाहे जितना भी अच्छा किस मैं करता हूँ पर तुमसे अच्छा तो नहीं हो सकता।
रीमा बोली- वो तो तुम ठीक ही कह रहे हो मेरे राजा बेटा ! ठीक है, मैं तुम को पूरी तरह ट्रेन्ड कर दूँगी !
ठीक है?
मैंने कहा- हाँ माँ।
फिर रीमा बोली- चल अब जल्दी से मेरे कपड़ो को उतार कर फेंक दे। मेरी मस्ती होंठ चुसाई के कारण बढ़ चुकी है और अब मुझे ये कपड़े अपने बदन पर बहुत ही बुरे लग रहे हैं।
इस पर मैंने कहा- माँ, तुम मुझको उसी तरह नंगा नाच करके दिखाओ जैसा तुमने एक बार बताया था चाट पर।
करुँगी बेटा, वो भी करुँगी लेकिन सबसे पहले मै तेरे हाथों से नंगी होना चाहती हूँ। जिससे तुझे धीरे धीरे मेरे नंगे होते शरीर को देखने का नजारा जिन्दगी भर याद रहे।
बात तो तुम ठीक कह रही हो माँ। मैं जब तुम्हारे कपड़े धीरे धीरे उतारुँगा और तुम्हारे बदन का एक एक हिस्सा नग्न हो कर मेरी आँखों के सामने प्रकट होगा तो पहली बार उस नग्न हिस्से को देखने में जो मजा आयेगा उसकी छवि तो कभी भी मेरी आँखों से नहीं जा सकती।
रीमा- तू बहुत ही समझदार है बेटा ! तेरे जैसा बेटा पा कर कोई भी माँ धन्य हो जाये।
उसकी बात सुनकर मैं थोड़ा सा शरमा गया। इस पर रीमा ने कहा- हाय देखूँ तो ! ऐसे शरमा रहा है जैसे कोई लौंडिया हो। चल अब लग जा काम पर और कर दे अपनी माँ को नंगी। तेरी इस रंडी माँ को कितने ही ग्राहकों ने नंगा किया है, तू भी कर दे नंगा।
देख ले अपनी रंडी माँ का नंगा बदन। तेरी इस रंडी माँ का कोई भी दल्ला नहीं है। तेरी माँ को खुद ही मेहनत करनी पड़ती है ग्राहक को ढूंढने में। आखिर रंडी हूँ ! एक दिन धंधा ना करूँ तो चूत की खुजली रात भर सोने नहीं देती। तू मेरा दल्ला बनेगा बेटा? मेरी दलाली करेगा? हाय रे क्या मस्त जोड़ी होगी हमारी ! रंडी माँ और दलाल बेटा। तेरी यह माँ तुझको दलाली के सारे गुण सिखा देगी और तुझको अपनी कमाई का आधा हिस्सा भी दूँगी और तेरे को और नई नई रंडियों की चूत भी दिलवाऊँगी, उनकी भी दलाली तू ही करना बेटा। बोल बेटा ! बोल, करेगा अपनी माँ की दलाली?
रीमा की इतनी गंदी गंदी बाते सुनकर मेरा लंड मचल उठा था।
रीमा फिर बोली- बोल रंडी की औलाद भोसड़े के ! पैदाईशी हरामी ! साले तेरी माँ को दस कुत्तों ने चोदा तो तू पैदा हुआ ! बोलता क्यों नहीं ? करेगा अपनी इस रंडी माँ की दलाली?
यह सुनकर मेरी हालत बिल्कुल ही खराब हो गई, पूरा बदन मस्ती में गरम हो गया, मेरा लंड मस्त हो कर प्री-कम बहाने लगा और मैंने बोला- हाँ माँ ! मैं करूंगा तेरी दलाली।
सुनकर रीमा बहुत ही खुश हुई, मुझको अपने गले से लगा लिया और बोली- तू सही में मेरा बेटा होता तो अब तक मैं तुझसे अपनी दलाली करवा रही होती ! पर तू चिन्ता मत कर अगर मुझे मौका मिला तो तुझसे अपनी दलाली जरूर करवाऊंगी।
फिर वो मुझसे अलग हो गई और बोली- चल अब खड़ा खड़ा क्या देख रहा है? उतार मेरे कपड़े, साले रंडी की औलाद।
मैंने सोचा कि अब माँ के भरपूर बदन को नंगा देखने का वक्त आ गया है। मैंने सोचा, रीमा के कपड़े उतारने से पहले आखरी बार उसको गर्म कर दूँ। और यही सोच कर मैंने रीमा से कहा- माँ, तुम वह पहली औरत होगी जिसको मैं नंगा देखूँगा। तुम्हारे भारी चूचियाँ पहली चूचियाँ होगी जिनको मैं मसलूँगा, तुम्हारी घुंडियाँ पहली घुंडियाँ होंगी जिनको मैं चूसूंगा और खींचूंगा। तुम्हारे चूतड़ वह पहले चूतड़ होंगे जिनको मैं प्यार करूंगा। तुम्हारी गाँड वह पहली गाँड होगी जिसको मारने से पहले मैं चाट चाट कर गीली कर दूंगा और तुम्हारी चूत पहली चूत होगी जिसको मैं चाट चाट कर झड़ाऊंगा और फिर उसमे अपना लम्बा लंड डाल कर चोदूंगा और तुम ही वह पहली औरत होगी जो मेरा कुवाँरापन लेगी।
हाय रे मेरे लाल ! तूने तो मुझको इतना गरम कर दिया है कि अगर और कुछ पल ये कपड़े मेरे शरीर पर रहे तो इनमे आग लग जायेगी। बेटा, अपनी माँ को और मत तड़पा ! पहले ही वह तुझसे इतने सालों दूर रह कर तड़पी है। बेटा अब उतार दे मेरे कपड़े।
मैंने सोचा- अब रीमा के कपड़े उतार ही देने चाहियें, ज्यादा तड़पाना ठीक नहीं है। कहीं माँ अपने कपड़े उतार कर खुद ही न फेंक दे जो मैं नहीं चाहता था। और अब मेरा लंड भी रीमा को नंगा देखने के लिये बेताब हुआ जा रहा था। पर साथ ही साथ मुझको यह भी डर था कि रीमा बहुत ही मस्तानी औरत है, कहीं उसके मस्ताने नंगे बदन को देख कर मेरा लंड बिना छुये ही झड़ जाये। और मुझे पता था कि इसके लिये मुझे बहुत मेहनत करनी पड़ेगी।
फिर मैं आगे बढ़ा और रीमा के हाथ पकड़ लिये और उठा कर चूम लिये और बोला- ठीक है, लाओ माँ, उतार देता हूँ मैं तुम्हारे कपड़े।
यह सुन रीमा ने अपना पल्लू जो कि उसने शुरू में अपने पेटीकोट में खोंस लिया था, निकाला और मुस्कुराते हुये मेरे हाथ में पकड़ाया और शरमाते हुये बोली- लो बेटा।