चलो अब पहले भाग से आगे चलते हैं :
जैसे कि मैंने पिछले भाग में बताया, दोस्तो, मैं लुट चुकी थी, रंडी बनने का रास्ता मिल गया था। उसने मुझे कई तरीकों से चोद-चोद निहाल कर दिया।
घर जाकर भी मेरी फुद्दी दुखती रही लेकिन जो मजा मुझे आया था वो लाजवाब था। यह बात मैं नहीं छुपा सकती क्यूंकि सच में चुदाई के अंत में असीम सुख मिलता है। मैं चुद चुकी थी, लौड़े का स्वाद मेरी फुद्दी के कोरे-कोरे गुलाबी होंठों को लग चुका था, उधर शेर के मुँह को मेरी जवानी का खून लग चुका था, आग दोनों तरफ पूरी-पूरी लग चुकी थी।
अब हम पुनः मिलने के लिए मौका देख-ढूंढ रहे थे।
एक दिन उसने मुझे एक मोबाइल लेकर दिया जिसको मैं अपने ब्रा में डाल कर रखने लगी।
उसने मुझे फ़ोन किया और बोला- मैं तुझसे मिलने को तड़फ रहा हूँ !
इधर भी यही हाल है राजा ! सोनू, मुझे तेरी बाँहों में आना है ! कोई हल निकालो, मिलने के लिए कुछ तो करो !
तभी मैंने उसे कहा- एक तरीका है, शाम को नहर के पास वाले गन्ने के खेत में आ जा !
शाम को मैंने देखा कि घर में सिर्फ चची और भाभी थी, मैंने कहा- मैं शौच के लिए खेतों में जा रही हूँ !
और भाभी को आँख दबा दी।
मैं वहां पहुंची तो वो पहले से ही वहाँ था। मिलते ही हम लिपटने लगे, मैंने उसके लौड़े को पकड़ लिया और मसलने लगी।
अरे ! बहुत आग लगी है? उसने कहा।
मैं बोली- बहुत !
उसने कहा- समय कम है ! सलवार उतार जल्दी से !
मैं बोली- कोई नहीं आएगा ! मुझे इसको चूसना है !
कह कर मैंने झुक कर उसका लौड़ा जड़ तक सहलाया और अपने मुँह में लिया।
लेकिन शायद उसे मेरी चूत चोदने में ज्यादा दिलचस्पी थी, बोला- चल जल्दी से खड़ी हो जा ! उसने मेरी कमीज़ ऊपर उठाई, मैंने ब्रा नहीं पहनी थी, न नीचे कच्छी गाँव की पूरी देहाती लड़की की तरह।
उसने सलवार उतार दी, दो मिनट मेरे मम्मे दबाये, सहलाए, चूसे और फ़िर मुझे सूखे घास पर चित्त लिटा दिया- टाँगें खोल !
मैंने पैर फ़ैला कर उसका लौड़ा अपनी फुद्दी में उतरवा लिया- हाय ! आज भी दर्द है ! लेकिन कम है !
वो झटके पर झटका लगाता गया, मैं जोर जोर से आहें लेने लगी।
बोला- साली, चुपचाप पड़ी रह ! किसी ने सुना तो फट जायेगी !
कुछ देर उसने मुझे घोड़ी बना कर ठोका और फिर अपना पानी मेरे अन्दर निकाल कर लुढ़क गया।
मुझे खास मज़ा नहीं आया था, मैंने अपने कपड़े ठीक किए और घर आ गई।